पाठशाला का इतिहास
रा0व0मा०पा०सनियो दीदग हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जनपद की पर्वतीय स्थली एवं पर्यटक दृष्टि से मनोरम पहाड़ियो की ऊपरी पड़ाव पर सोलन-राजगढ़-मीनस राज्य स्तरीय उच्च मार्ग पर बसा गांव सनियो दीदग के उपरी छोर पर दक्षिणाभिमुख पहाड़ी पर बसी यह पाठशाला भू गर्भ पर लम्बवत अपनी विशाल सुंदरी मनमोहक इमारते सिर उठाए विद्यमान पूरे वर्ष सूर्यदेव की असीम किरणों से सुशोभित रहती है | वर्ष कालीन मेघों के झुरमुठ कक्षाओ में अन्दर झांक कर अपनी उपस्थिति का अहसास प्रबल ढंग से करवाते है | 6500 फूट समुद्र तल से ऊँचाई के कारण शरदकालीन दृश्य भी चाँदीमय बर्फाली परत से पाठशाला के आँचल को ढ़क चुका होता है |
दूरस्थ उत्तर पश्चिम में प्रसिध्द आडूघाटी “फागू” स्थित है | दक्षिण की तलहटी अदरक के लिए सर्वश्रेष्ठ लानाचेता, पूर्वाचल मे नोहराधार व देवस्थली हरिपुरधार पवित्र पवनों का भण्डार पाठशाला की और लगातार बहाय हुए है | उतर भी सिरमौर के सर्वोच्च शिखर चूड़धार से सम्मानित है | जहाँ “शिव - यानि महादेव शिरगुल देवता “ अपनी आस्थावान मानवजाति को आशीर्वाद प्रदान करके कहते है बढ़े चलो , बढ़े चलो , शिखर की तरह संसार में ऊँचे उठना सीखो, यह गौरवान्वित शिखर यहाँ से पैदल लगभग 4-5 घंटे की दूरी पर स्थित है | यह प्रतिदिन ओसतन 200-300 श्रद्धालु शिरगुल देवता से आशीर्वाद ले ही जाते है |